Wednesday, July 6, 2022

अब तुम्हारी आंखों के सिवा

कुछ याद नहीं रहता

बहुत कोशिश करूं तो

तुम्हारी धुंधली सी सूरत

ज़हन में आती है

ये तुम्हें भूल जाने की 

शुरुआत है

या फिर तुम्हारी यादें 

मुझमें इतनी जज़्ब हो गई हैं

कि अब उनका अलग वज़ूद ही मिट गया है।

2 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वाह , क्या बात है ...... ये भी प्रेम का एक रूप है .

Shikha Deepak said...

शुक्रिया संगीता जी