Friday, March 19, 2010

शुक्रिया ......ऐ दोस्त !!!!!!

करीब दस महीनों के बाद आज अपने ब्लॉग पर कुछ लिख रही हूँइतने दिनों लिखने के बहुत ढेर सारे कारण हैं, उनको फिर कभी बताउंगी पर अभी बताती हूँ कि मैं क्यों फिर लिख पा रही हूँ...............इतने दिनों लिखा तो नहीं पर बहुत कुछ पढ़ा और बहुतों को पढ़ाउस बहुत कुछ और बहुतों में से कुछ ने मेरे अन्दर फिर से नए प्राणसंचार कर दिए हैं जो मेरा दिल फिर से सोचने पर मजबूर हो गया हैया यूँ कहें कि मैं दिल के हांथो मजबूर हो गयी हूँउसे सोचने से नहीं रोक सकतीविचारों कि बाढ़ सी आगयी हैदिल दिमाग में झंझावात से उठ रहे हैंमन बहुत बेचैन हैसमझ में नहीं आता कि शुरू कहाँ से करूं...................अब उस आरम्भ का आरम्भ हो ही गया है तो शुरू से ही शुरू करती हूँसबसे पहले तो उन दोस्तों का शुक्रिया जिनके कारण मैं आज फिर यहाँ हूँक्योंकि जो आपके में ऊर्जा का संचार करे, जो आपको भूली राह दिखाए, जो आपको आगे बढ़ने को प्रेरित करे वो आपके दोस्त के अलावा और कौन हो सकता हैअब वो कौन हैं इसे एक अबूझ पहेली ही बना रहने देती हूँ

(कुछ पंक्तियाँ याद आरही हैं.... पता नहीं किसकी हैं )

शुक्रियामेरी गैरत को जगाने वाले
मुझको मालूम नहीं था मैं अभी ज़िंदा हूँ