
शीर्षक से ही समझ गए होंगे कि मैं बच्चों की बात कर रही हूँ। जी सही समझा। कल मैं अपने कम्प्यूटर पर कुछ टाइप कर रही थी...........पता ही नही चला कि मेरे बेटे मेरे पीछे खड़े बहुत ध्यान से देख रहे हैं। ऐसा आम तौर पर होता नहीं है क्योंकि कुछ मिनट तो क्या कुछ पल भी वो शांत नहीं रह सकते। इसलिए आप एक ही जगह बैठे बैठे पता लगा सकते हैं कि वो घर के किस कोने में हैं............और अगर वो घर में हैं साथ ही कोई शोर नहीं है तो मतलब कि कहीं कुछ गड़बड़ है.........कहीं कुछ खुराफात चल रही है.............ऐसे वो दोनों आपको हमेशा सोफे की बैक पर, कुर्सी के नीचे, अपने बंक बेड पर उलटी तरफ से चढ़ते, कार से दरवाजे की जगह खिड़की से बाहर आते ...............या इसी तरह की गतिविधियों के साथ मिलेंगे............अनगिनत है गिनाने बैठी तो जाने यह पोस्ट कभी पूरी ही न हो पाए। हाँ तो अब मुख्य बात पर आती हूँ...........मैं कुछ टाइप कर रही थी और अचानक दोनों मेरे पीछे से आकर मुझ से लिपट गए...........एक स्वर में बोले मम्मी य़ू आर टू गुड...........फिर ढेर सारी फ़्लाइंग किस मेरी और उछाल दी मैं भौचक्क उनको देखती रही ..........मेरी समझ में ही नहीं आ रहा था कि अचानक ऐसा क्या हो गया जो मेरे बेटे अपनी माँ पर इतना रीझ रहे हैं...............मैंने पूछा हुआ क्या.........तो बोले मम्मी तुम तो हमारी मैम से भी ज्यादा इन्टैलिजेंट हो, मैंने पूछा कि भला वो कैसे......तो वो बोले मम्मी हमारी मैम तो कंप्यूटर में केवल A B C D ही लिख पाती हैं पर तुम तो A B C D के बटन से क ख ग घ भी लिख लेती हो ...........रीयली मम्मी यू आर टू गुड........ बच्चों के इस भोलेपन पर मैं मुग्ध हो गयी.............
अपने बच्चों के साथ इनके बचपन का एक एक पल जीने और उसको सहेज कर रखने की कोशिश करती हूँ कुछ यादों में, कुछ डायरी और कुछ फोटों में ......जाने कल वक़्त और जिंदगी उन्हें कहाँ ले जाए ..........पर उनका यह बचपन सदा सदा मेरे मन में ताज़ा रहेगा। मेरे नन्हों की कुछ कारगुजारियां.............

बंक बेड पर चढ़ कर छत पर की गयी चित्रकारी..


मेरे बीमार पड़ने पर बनाया हुआ Get well soon कार्ड